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भारतीय रिमोट सेंसिंग

भारतीय रिमोट सेंसिंग प्रणाली

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भास्कर और भास्कर-2 के सफल प्रदर्शन उड़ान उपग्रह के बाद भारत ने कृषि, जल संसाधन, वानिकी और पारिस्थितिकी, भूविज्ञान, पानी शेड, समुद्री मत्स्य पालन और तटीय प्रबंधन के क्षेत्रों में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए स्वदेशी भारतीय रिमोट सेंसिंग (आईआरएस) उपग्रह कार्यक्रम विकसित करना शुरू किया।[1]

इस उद्देश्य के लिए भारत ने राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रणाली (एनएनआरएमएस) को स्थापित किया। जिसे अंतरिक्ष विभाग (डीओएस) की एजेंसी माना गया है।

आईआरएस प्रणाली 11 परिचालन उपग्रहों के साथ दुनिया में चल रही नागरिक उपयोग के लिए आज सबसे बड़ा दूरसंवेदी उपग्रहों का नक्षत्र है। इन सभी उपग्रहों को ध्रुवीय सूर्य समकालिक कक्षा में स्थापित किया गया है। भारतीय सुदूर संवेदन कार्यक्रम ने मार्च 17, 2013 सफल संचालन के अपने 25 वर्ष पूरे कर लिये है।

आईआरएस अनुप्रयोग

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भारतीय रिमोट सेंसिंग उपग्रहों का डेटा राष्ट्रीय प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन प्रणाली (एनएनआरएमएस) के तहत संसाधनों के सर्वेक्षण और प्रबंधन के विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए उपयोग किया जाता है। निम्नलिखित उन अनुप्रयोगों की सूची है:-

  1. विकेंद्रीकृत योजना के लिए अंतरिक्ष आधारित इनपुट
  2. राष्ट्रीय शहरी सूचना प्रणाली (एनयूआईएस)
  3. इसरो आपदा प्रबंधन सहायता कार्यक्रम
  4. परिदृश्य स्तर पर जैव विविधता विशेषता -http://bis.iirs.gov.in
  5. प्रमुख फसलों के पूर्व-पीक फसल क्षेत्र और उत्पादन अनुमान।
  6. सिंचाई कमांड क्षेत्र की स्थिति की निगरानी
  7. शहरी नियोजन
  8. वन सर्वेक्षण
  9. वेटलैंड मानचित्रण
  10. पर्यावरण प्रभाव का विश्लेषण
  11. खनिज पूर्वेक्षण
  12. तटीय अध्ययन
  13. 174 जिलों में एकीकृत भूमि और जल संसाधन विकास और स्थानीय-विशिष्ट के लिए सतत विकास एकीकृत मिशन (1992 में शुरू किया गया)।
  14. उत्तर पूर्वी जिला संसाधन योजना (एनईडीआरपी) - https://web.archive.org/web/20190827140702/https://www.nedrp.gov.in/

आईआरएस लॉन्च इतिहास

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प्रारंभिक संस्करण 1 (ए, बी, सी, डी) के नाम से बनाये गये थे। बाद के संस्करणों का नाम ओशनसैट, कार्टोसैट, रिसोर्ससैट सहित उनके उपयोग के क्षेत्र के आधार पर रखा गया। कुछ उपग्रहों को लॉन्च नंबर और वाहन (पीएसएलवी के लिए पी श्रृंखला) के आधार पर वैकल्पिक पदनाम दिया गया था।

क्रम सं उपग्रह लॉन्च की तिथि प्रक्षेपण यान स्थिति
1 आईआरएस-1ए 17 मार्च 1988 वोस्तोक, सोवियत संघ मिशन पूरा हुआ
2 आईआरएस-1बी 29 अगस्त 1991 वोस्तोक, सोवियत संघ मिशन पूरा हुआ
3 आईआरएस-पी1 (Iई भी) 20 सितंबर 1993 पीएसएलवी-डी1 दुर्घटनाग्रस्त, पीएसएलवी की विफलता की वजह से
4 आईआरएस-पी2 15 अक्टूबर 1994 पीएसएलवी-डी2 मिशन पूरा हुआ
5 आईआरएस-1सी 28 दिसंबर 1995 मोलनिया, रूस मिशन पूरा हुआ
6 आईआरएस-पी3 21 मार्च 1996 पीएसएलवी-डी3 मिशन पूरा हुआ
7 आईआरएस 1डी 29 सितंबर 1997 पीएसएलवी-सी1 मिशन पूरा हुआ
8 आईआरएस-पी4 (ओशनसैट-1) 27 मई 1999 पीएसएलवी-सी2 मिशन पूरा हुआ
9 प्रौद्योगिकी प्रयोग सैटेलाइट (टीईएस) 22 अक्टूबर 2001 पीएसएलवी-सी3 मिशन पूरा हुआ
10 आईआरएस पी6 (रिसोर्ससैट-1) 17 अक्टूबर 2003 पीएसएलवी-सी5 सेवा मे
11 आईआरएस पी5 (कार्टोसैट 1) 5 मई 2005 पीएसएलवी-सी6 सेवा मे
12 कार्टोसैट 2 (आईआरएस पी7) 10 जनवरी 2007 पीएसएलवी-सी7 सेवा मे
13 कार्टोसैट 2ए 28 अप्रैल 2008 पीएसएलवी-सी9 सेवा मे
14 आईएमएस 1 28 अप्रैल 2008 पीएसएलवी-सी9 सेवा मे
15 ओशनसैट-2 23 सितंबर 2009 पीएसएलवी-सी14 सेवा मे
16 कार्टोसैट-2बी 12 जुलाई 2010 पीएसएलवी-सी15 सेवा मे
17 रिसोर्ससैट-2 20 अप्रैल 2011 पीएसएलवी-सी16 सेवा मे
18 मेघा-ट्रापिक्स 12 अक्टूबर 2011 पीएसएलवी-सी18 सेवा मे
19 रीसैट-1 26 अप्रैल 2012 पीएसएलवी-सी19 सेवा मे
20 सरल (उपग्रह) 25 फ़रवरी 2013 पीएसएलवी-सी20 सेवा मे
21 रिसोर्ससैट 2ए 07 दिसम्बर 2016 पीएसएलवी-सी36 सेवा मे
22 कार्टोसैट-2डी 15 फ़रवरी 2017 पीएसएलवी-सी37 सेवा मे

आईआरएस डाटा उपलब्धता

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आईआरएस उपग्रह से प्राप्त डाटा को एनआरएससी डाटा सेंटर के माध्यम से और इसके अलावा इसरो के भुवन भौगोलिक के माध्यम से भी प्राप्त किया जा सकता है। एनआरएससी डाटा सेंटर अपनी खरीद प्रक्रिया के माध्यम से डेटा प्रदान करते हैं जबकि भुवन भौगोलिक नि: शुल्क और खुले डोमेन में डेटा प्रदान करता है।

आईआरएस और अन्य रिमोट सेंसिंग डाटा के लिए क्षमता निर्माण

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आईआरएस और अन्य रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोगों के लिए इसरो की क्षमता निर्माण कार्यक्रम, भारत के राज्य उत्तराखंड के देहरादून में स्थित भारतीय दूरसंचार संस्थान (आईआईआरएस) और अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी शिक्षा केंद्र एशिया और प्रशांत क्षेत्र (सीएसटीटीएपी) (यूएन संबद्ध) केन्द्र मे है।

भविष्य के आईआरएस लॉन्च

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निम्नलिखित आईआरएस उपग्रह भारतीय रिमोट सेंसिंग के बेड़े को मजबूत करने और उनके अनुप्रयोगों को बडा करने के लिए इसरो द्वारा नियोजित रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट हैं:[2][3]

  • रिसोर्ससैट-3: रिसोर्ससैट-2 के बाद इसरो द्वारा रिसोर्ससैट-3 की रिमोट सेंसिंग रिमोट सेंसिंग को नियोजित किया जायेगा,यह उपग्रह पहले के रिसोर्ससैट-2 उपग्रह से उन्न्त होगे। उपग्रह में मात्रात्मक व्याख्या और भूभौतिकीय पैरामीटर पुनःप्राप्ति के लिए वायुमंडलीय सुधार संवेदक (एसीएस) भी होगा। यह 2021 के दौरान लॉन्च किया जाएगा।[3]
  • कार्टोसैट-3: कार्टोसैट श्रृंखला की निरंतरता है। इसमें कैडस्ट्रे और बुनियादी ढांचा मैपिंग और विश्लेषण के लिए उपयुक्त 30 सेंटीमीटर और 6 किमी रेजुलेशन होगा। इससे आपदा निगरानी और क्षति मूल्यांकन करने मे क्षमता बढ़ेगा। यह 2018 के दौरान लॉन्च किया जाना है।[4]
  • ओशनसैट 3: ओसीसैट-3 थर्मल आईआर सेंसर, 12 चैनल ओशन रंग मॉनिटर, स्केटरोमीटर और निष्क्रिय माइक्रोवेव रेडियोधोमीटर ले के जायेगा। आईआर सेंसर और ओशन रंग मॉनिटर का संचालन संभावित मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए विश्लेषण में किया जाएगा। सैटेलाइट मुख्य रूप से महासागर जीव, विज्ञान और समुद्री राज्य के अवास्था के लिए है। यह 2012-13 में पीएसएलवी पर लॉन्च करने के लिए तैयार है। [3]

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. "Indian Remote Sensing". मूल से 6 अक्तूबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 सितंबर 2016.
  2. "IRS Satellites in ISRO annual report of year 2006-07". मूल से 8 अप्रैल 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मई 2017.
  3. "Eleventh Five Year Plan For Indian Space Programme" (PDF). मूल (PDF) से 12 मई 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.
  4. "CEOS EO HANDBOOK – MISSION SUMMARY - CARTOSAT-3". मूल से 29 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मई 2017.
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