अक्षय नवमी
अक्षय नवमी | |
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आधिकारिक नाम | अक्षय नवमी |
उत्सव | आंवला वृक्ष का पूजन, कार्तिक स्नान |
आरम्भ | कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी |
समापन | कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी |
समान पर्व | अक्षय तृतीया |
कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय नवमी कहलाती है। यों सारे कार्तिक मास में स्नान का माहात्म्य है, परंतु नवमी को स्नान करने से अक्षय पुण्य होता है, ऐसा हिंदुओं का विश्वास है। इस दिन अनेक लोग व्रत भी करते हैं और कथा वार्ता में दिन बिताते हैं।
द्वापर युग का प्रारम्भ अक्षय नवमी से माना जाता है।[1]
व्रत आयोजन की तिथि
[संपादित करें]हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष नवमी।
पूजन का विधान
[संपादित करें]आंवला वृक्ष का पूजन भक्ति भाव के साथ करना चाहिए। पुराणों कहा गया है कि जिस इच्छा के साथ पूजन किया जाता वह इच्छा पूर्ण होती है इसलिए इस नवमी को इच्छा नवमी भी कहते हैं।
आंवला वृक्ष के नीचे भोजन का माहात्म्य
[संपादित करें]अक्षय नवमी के दिन आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर खाने का विशेष महत्त्व है। यदि आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाने में असुविधा हो तो घर में भोजन बनाकर आंवला के वृक्ष के नीचे जाकर पूजन करने के पश्चात् भोजन करना चाहिए। भोजन में सुविधानुसार खीर , पूड़ी या मिष्ठान्न हो सकता है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 9 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.
इन्हें भी देखें
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