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हिंदी मीडियम (फ़िल्म)

हिंदी मीडियम

फिल्म का पोस्टर
निर्देशक साकेत चौधरी
पटकथा ज़ीनत लखानी
साकेत चौधरी
कहानी ज़ीनत लखानी
साकेत चौधरी
निर्माता भूषण कुमार
कृष्ण कुमार
दिनेश विजयन
अभिनेता इरफ़ान ख़ान
सबा कमर
दीपक डोबरियाल
संपादक ए. श्रीकर प्रसाद
संगीतकार सचिन-जिगर
वितरक टी-सीरीज़
प्रदर्शन तिथि
19 मई 2017
देश भारत
भाषा हिंदी

हिंदी मीडियम एक भारतीय हिन्दी फिल्म है, जिसका निर्माण भूषण कुमार, कृष्ण कुमार और दिनेश विजयन ने और निर्देशन साकेत चौधरी ने किया है। इस फिल्म की कहानी जीनत लखनी ने लिखी है। इसके मुख्य किरदारों में इरफ़ान ख़ान और सबा कमर हैं। यह फिल्म 19 मई 2017 को सिनेमाघरों में प्रदर्शित हुई।

यह कहानी दिल्ली में रहने वाले एक व्यापारी राज बत्रा की कहानी है, जो दिल्ली में शादी में उपयोग होने वाले कपड़ों का व्यापार करते रहता है। वह अमीर रहता है, लेकिन अच्छी तरह अंग्रेजी नहीं जानते रहता है और उसकी पत्नी दोनों सरकारी विद्यालय में हिन्दी माध्यम में पढ़ाई किए रहते हैं। उसकी पत्नी की इच्छा रहती है कि उसकी बेटी पिया को किसी बड़े विद्यालय में पढ़ाये और इस कारण वे लोग उसे दिल्ली के पाँच सबसे बड़े विद्यालयों में से किसी एक में उसकी पढ़ाई करवाना चाहते थे। वे लोग पहले दिल्ली ग्रामर स्कूल गए, जहाँ शर्त ये थी कि केवल उन्हें ही लिया जाएगा, जो विद्यालय के 3 किलोमीटर की दूरी के अन्दर ही रहते हों। इस कारण वे लोग वसंत विहार रहने आ जाते हैं। राज को अपने पिता का घर छोड़ते हुए बहुत दुख हो रहा था।

बाद में उन्हें पता चलता है कि प्रवेश के लिए वहाँ माता-पिता की परीक्षा होती है। वहाँ जब राज से सवाल किया जाता है तो वह ठीक से उत्तर नहीं दे पाता है इस कारण उसकी बेटी को प्रवेश नहीं दिया गया। उसके बाद राज पूरी कोशिश करता है कि उसकी बेटी का प्रवेश 'प्रकृति' में हो जाये, लेकिन उसकी तमाम कोशिशों के बावजूद उसकी बेटी का प्रवेश नहीं हो पाता है।

उसके बाद राज थक हार कर घर आता है और आराम करते रहता है, तभी एक कर्मचारी मिठाई बांटते हुए आता है और बोलता है कि उसकी बेटी का 'प्रकृति' में प्रवेश हो गया है। राज आउट मीता दोनों उसकी बात सुन कर हैरान हो जाते हैं। उन दोनों को विश्वास नहीं होता है कि एक कम कमाने वाला कम शिक्षित व्यक्ति अपनी बेटी का 'प्रकृति' विद्यालय में प्रवेश करा सकता है। उससे पूछने से वो बताता है कि उसकी बेटी का प्रवेश 'शिक्षा का अधिकार' वाले कोटे से हुआ है। राज भी अपनी बेटी का प्रवेश उसी कोटे से 'प्रकृति' में करा देता है।

पहले तो वे दोनों हैरान हो जाते हैं, लेकिन बाद में उन्हें पता चलता है कि एक दो बच्चे आमतौर पर दबाव या सामाजिक भेदभाव के कारण वहाँ पढ़ना छोड़ देते हैं। एक व्यक्ति उन्हें बताता है कि वो सभी जाली दस्तावेजों को तैयार कर सकता है और ऐसा भी कर सकता है कि लौटरी में उसकी बेटी का नाम आ जाये। उन लोग उस व्यक्ति को पैसे दे देते हैं और वो पूरा कार्य कर देता है। लेकिन तभी शिक्षा का अधिकार कोटा द्वारा प्रवेश कांड का खुलासा हो जाता है। जिसमें बताया जाता है कि किस तरह अमीर लोग अपने बच्चों का इस कोटे द्वारा रिश्वत देकर प्रवेश करा रहे हैं। इसके बाद वो दोनों डर जाते हैं। अब उनके सामने एक ही विकल्प रह जाता है कि जाली दस्तावेज़ में जिस तरह वे लोग रहते हैं, उसी जगह पर रहना शुरू कर दें।

अपने नये आवास में रहने में उन्हें मुश्किल लग रहा था, क्योंकि उसमें न पानी की व्यवस्था थी और न ही घर में शौचालय था। उन्हें बुनियादी सुविधाओं के लिए भी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा था। वहाँ उनके पड़ोसी श्याम प्रसाद और उसकी पत्नी तुलसी उनकी कई तरह से सहायता करते थे, जैसे राशन साझा करना या पिया का ख्याल रखना आदि। एक दिन दिल्ली ग्रामर स्कूल के शिक्षक वहाँ आ जाते हैं और उनके बारे में जानकारी एकत्रित करते रहते हैं। उन लोगों को सभी चीज ठीक लगता है लेकिन उन्हें परवेश के लिए ट्यूशन का 24,000 रुपये देना होगा, क्योंकि यह शिक्षा के अधिकार वाले कोटे में नहीं आता है। राज आसनी से मान जाता है लेकिन श्याम थोड़ा चिंतित हो जाता है कि राज इतने पैसों का इंतजाम कैसे कर पाएगा। दोनों के मध्य थोड़ी बहस होती है पर राज बोल देता है कि वो पैसे का इंतजाम कर लेगा।

देर रात एटीएम से पैसा निकालने के लिए राज चुपचाप घर से निकल जाता है। श्याम उसे देख लेता है, उसे लगता है कि राज बहुत निराश है और वो उसके पास आ जाता है। जब श्याम सड़क पार करते रहता है तो एक गाड़ी उसे टक्कर मार देती है। श्याम को ज्यादा चोट नहीं आती है लेकिन खून काफी निकलता है। राज उस गाड़ी वाले के ऊपर बहुत गुस्सा हो जाता है और पुलिस को बताने की बात करता है। गाड़ी चलाने वाला डर जाता है और पैसे दे कर मामले को दबाने की कोशिश करता है। राज जल्दी से श्याम को अस्पताल ले जाता है और तभी श्याम उसे 20,000 रुपये देता है, जिससे वो पिया के ट्यूशन में लगने वाली रकम को भर सकता है। राज को ये लगता है कि श्याम ने जानबुझ कर अपनी जिंदगी को खतरे में डाल कर पिया के लिए पैसे जुटाये हैं। जब राज उससे पूछता है कि तुमने ऐसा क्यों किया तो श्याम बोलता है कि गरीब व्यक्ति की ज़िंदगी ही उसकी एकमात्र संपत्ति होती है।

अंत में पता चलता है कि 10 परिवारों ने शिक्षा का अधिकार कोटा द्वारा धोखाधड़ी द्वारा प्रवेश लिया है। इसके बाद उन सभी का प्रवेश रद्द हो जाता है और फिर से लौटरी द्वारा प्रवेश होता है। जिसमें पिया को भी प्रवेश मिल जाता है। राज और उसका परिवार वापस वसंत विहार में रहने लगते हैं। राज को अभी तक विश्वास नहीं होता है कि एक गरीब व्यक्ति ने अपने जीवन को संकट में डाल कर पिया के प्रवेश हेतु पैसे की व्यवस्था की थी। वो उतना ही अपने आप को दोषी मान रहा था क्योंकि उसकी बेटी पिया को प्रवेश मिल गया जबकि श्याम के बेटे, मोहन को नहीं मिला। राज को लगता है कि पिया को मिलने वाला प्रवेश मोहन को मिलना चाहिए था।

उसी समय उसे अपनी गलती का एहसास होता है और वो श्याम जिस विद्यालय में पढ़ते रहता है, वहाँ जा कर पर्याप्त राशि दान कर देता है, जिससे वहाँ नए पुस्तक आ सकें। श्याम उस व्यक्ति से मिलना चाहते रहता है, जो उस विद्यालय को पैसे का दान किया है। लेकिन जब उसे सच्चाई का पता चलता है तो वो बोलता है कि मुझे दान नहीं अपना अधिकार चाहिए। राज इसके बाद विद्यालय के प्राचार्य से मिलता है और पिया का प्रवेश रद्द करवाता है। मीता इसका विरोध करती है तो राज बोलता है कि एक अच्छा पिता और पति बनने से पहले उसे एक अच्छा इंसान बनना है। बाद में राज और मीता हिन्दी माध्यम के एक सरकारी विद्यालय में अपनी बेटी को बढ़ाते हैं, जहाँ मोहन पढ़ रहा था।

  • इरफ़ान ख़ान - राज बत्रा
  • सबा कमर - मीता बत्रा
  • दीपक डोबरियाल - श्याम
  • स्वाति दास
  • दीतिता सहगल
  • डेलाजद हिवाले
  • जसपाल शर्मा
  • विजय कुमार डोगरा
  • देवेश शर्मा (विशेष उपस्थिति)
  • रोहित तनान

फिल्म का संगीत सचिन-जिगर द्वारा रचित है, जबकि गीत प्रिया सरैया और कुमार द्वारा लिखे गए हैं। अमर मोहिले ने पार्श्व संगीत दिया है। 21 अप्रैल 2017 को पूर्ण संगीत एल्बम जारी किया गया था।[1] संगीत अधिकार टी-सीरीज द्वारा अधिग्रहित किए गए हैं।

संगीत सूची
क्र॰शीर्षकगीतकारसंगीतकारगायकअवधि
1."सूट सूट"गुरु रंधावा, अर्जुनगुरु रंधावा, रजत नागपालगुरु रंधावा, अर्जुन3:10
2."हूर"प्रिया सरैयासचिन-जिगरआतिफ़ असलम3:57
3."ओह हो हो हो"इक्का सिंह, सुखबीरसचिन-जिगरसुखबीर, इक्का सिंह4:04
4."इक जिंदरी"कुमारसचिन-जिगरतनिष्का संघवी4:31
कुल अवधि:10:28

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. "Hindi Medium Movie Full Album (Audio Jukebox)". T-Series. मूल से 1 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 April 2017 – वाया YouTube.
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