सागर ज़िला
सागर | |||||||||
— जिला — | |||||||||
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०) | |||||||||
देश | भारत | ||||||||
राज्य | मध्य प्रदेश | ||||||||
जिलाधीश | दीपक आर्य | ||||||||
जनसंख्या • घनत्व |
22,28,935 (2011 के अनुसार [update]) • 272/किमी2 (704/मील2) | ||||||||
क्षेत्रफल • ऊँचाई (AMSL) |
10,252 km² (3,958 sq mi) • 594 मीटर (1,949 फी॰) | ||||||||
विभिन्न कोड
| |||||||||
आधिकारिक जालस्थल: sagar.nic.in |
निर्देशांक: 23°06′N 78°30′E / 23.10°N 78.5°E
परिचय
[संपादित करें]सागर जिला भारत के राज्य मध्य प्रदेश का एक संभाग है। सागर जिला भारत देश का हृदय जिला कहलाता है। सागर जिले मे NH26 वर्तमान NH44 पर रानगिर तिराहा से कर्क रेखा (23°3') गुजरती हैं। संभाग का मुख्यालय सागर है। संभाग में सागर के अतिरिक्त 5 अन्य जिले हैं, जिनमें से सागर भी एक है। अन्य 5 जिले दमोह, छतरपुर, पन्ना निमाड़ी और टीकमगढ़ हैं। सागर में प्रदेश का सबसे पुराना विश्वविद्यालय है जो अब केंद्रीय विश्वविद्यालय भी है।
भौगोलिक स्थिति
[संपादित करें]भारत के मध्य भाग में 23.10 उत्तरी अक्षांश से 24.27 उत्तरी अक्षांश तथा 78.5 पूर्व देशांस से 79.21 पूर्व देशांस के मध्य फैला सागर जिला मध्य प्रदेश के उत्तर मध्य में स्थित है। यह क्षेत्र आमतौर पर बुंदेलखंड के रूप में जाना जाता है। इसके उत्तर में छतरपुर और ललितपुर, पश्चिम में विदिशा व गुना, दक्षिण में नरसिंहपुर, पश्चिम-दक्षिण में रायसेन तथा पूर्व में दमोह जिले की सीमाएं लगती हैं। जिले के दक्षिणी भाग से कर्क रेखा गुजरती है। भौगोलिक दृष्टि से सागर देश के मध्य भाग में स्थित है और इसे ‘‘भारत का हृदय’’ कहना उचित होगा। रजाखेङी मध्यप्रदेश की सबसे बङी ग्राम पंचायत है।
तहसील सूची
[संपादित करें]सागर में कुल 12 तहसीलें है ।
1 सागर
2 बीना
3 खुरई
4 राहतगढ़
5 रहली
6 गढ़ाकोटा
7 देवरी
8 केसली
9 बंडा
10 शाहगढ़
11 मालथौन
12 जैसीनगर
प्रमुख नदियां व प्राकृतिक संसाधन
[संपादित करें]सागर जिले में प्रमुख रूप से धसान, बेबस, बीना नदी, बामनेर और सुनार नदी निकलती हैं। इसके अलावा कड़ान, देहार, गधेरी व कुछ अन्य छोटी बरसाती नदियां भी हैं। अन्य प्राकृतिक संसाधनों के मामले में सागर जिले को समृद्ध नहीं कहा जा सकता लेकिन वास्तव में जो भी संसाधन उपलब्ध हैं, उनका बुद्धिमत्तापूर्ण दोहन बाकी है। कृषि उत्पादन में सागर जिले के कुछ क्षेत्रों की अच्छी पहचान हैं। खुरई तहसील में उन्नत किस्म के गेहूं का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है।
अक्षांश - 23.10 से 24.27 उत्तर
देशांतर - 78.5 से 79.21 पूर्व
औसत वर्षा - 1252 मि.मी.
प्रमुख धंधे - बीड़ी निर्माण और कृषि एवं पशुपालन
प्रमुख फसलें - सोयाबीन,मंक्का, गेहूं,
उद्योग धंधे
[संपादित करें]सागर में मूलत: कोई बड़ा उद्योग नहीं है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग मुख्य रूप से कृषि एवं मजदूरी करते हैं लेकिन शहर में बड़ी संख्या में लोग बीड़ी तथा अगरबत्ती बनाने का काम भी करते हैं। सागर के औद्योगिक विकास के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए। इसी कारण जिले में कुछ छिटपुट कारखानों को छोड़कर कोई प्रमुख औद्योगिक गतिविधियां नहीं होती हैं। करीब एक दशक पहले केंद्र सरकार ने जिले की बीना तहसील के आगासौद गांव में ओमान सरकार के सहयोग से विशाल तेल रिफायनरी स्थापित करने की घोषणा की थी, लेकिन तमाम अवरोधों के चलते अब तक इस विशाल परियोजना की ढंग से शुरुआत भी नहीं हो सकी है।
इतिहास
[संपादित करें]विंध्य पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित यह जिला पुराने समय से ही मध्य भारत का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। सागर के आरंभिक इतिहास की कोई निश्चित जानकारी तो उपलब्ध नहीं है, लेकिन पुस्तकों में दर्ज विवरणों के अनुसार प्रागैतिहासिक काल में यह क्षेत्र गुहा मानव की क्रीड़ा स्थली रहा। पौराणिक साक्ष्यों से ऐसे संकेत मिलते हैं कि इस जिले का भूभाग रामायण और महाभारत काल में विदिशा और दशार्ण जनपदों में शामिल था।
इसके बाद ईसा पूर्व छटवीं शताब्दी में यह उत्तर भारत के विस्तृत महाजनपदों में से एक चेदी साम्राज्य का हिस्सा बन गया। इसके उपरांत ज्ञात होता है कि इसे पुलिंद देश में सम्मिलित कर लिया गया। पुलिंद देश में बुंदेलखंड का पश्चिमी भाग और सागर जिला शामिल था। सागर के संबंध में विस्तृत जानकारी ‘टालमी’ के लिखे विवरणों से प्राप्त होती है। टालमी के अनुसार ‘फुलिटों’ (पुलिंदौं) का नगर ‘आगर’ (सागर) था।
गुप्त वंश के शासनकाल में इस क्षेत्र को सर्वाधिक महत्व मिला. समुद्रगुप्त के समय में एरण को स्वभोग नगर के रूप में उद्धृत किया गया है और यह राजकीय तथा सैन्य गतिविधियों का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। नवमीं शताब्दी में यहां चंदेल और कलचुरी राजवंशों का आधिपत्य हुआ और 13-14वीं शताब्दी में मुगलों का शासन शुरू होने से पूर्व यहां कुछ समय तक परमारों का शासन भी रहने के संकेत मिलते हैं। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार सागर का प्रथम शासक श्रीधर वर्मन को माना जाता है।
पंद्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में सागर पर गौंड़ शासकों ने कब्जा जमाया गोंडवाना के प्रमुख गढ़ में राहतगढ़,धमोनी,गढ़ाकोटा,शाहगढ़,रहली,खिमलासा,गढ़पहरा, गौरझामर प्रमुख है।फिर महाराजा छत्रसाल ने धामोनी, गढ़ाकोटा और खिमलासा में मुगलों को हराकर अपनी सत्ता स्थापित की लेकिन बाद में इसे मराठाओं को सौंप दिया। सन् 1818 में अंग्रेजों ने अपना कब्जा जमाया और यहां ब्रिटिश साम्राज्य का आधिपत्य हो गया। सन् 1861 में इसे प्रशासनिक व्यवस्था के लिए नागपुर में मिला दिया गया और यह व्यवस्था सन् 1956 में नए मध्यप्रदेश राज्य का गठन होने तक बनी रही।
भोपाल संभाग | |
---|---|
चंबल संभाग | |
ग्वालियर संभाग | |
इंदौर संभाग | |
जबलपुर संभाग | |
नर्मदापुरम संभाग | |
रीवा संभाग | |
सागर संभाग | |
शहडोल संभाग | |
उज्जैन संभाग |
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- सागर-मध्यप्रदेश का हृदय Archived 2009-01-09 at the वेबैक मशीन
Text is available under the CC BY-SA 4.0 license; additional terms may apply.
Images, videos and audio are available under their respective licenses.