सरोजिनी नायडू
सरोजिनी नायडू | |
---|---|
1964 की डाक टिकट पर श्रीमती सरोजिनी नायडू का चित्र | |
जन्म |
सरोजिनी चट्टोपाध्याय 13 फ़रवरी 1879 हैदराबाद, आंध्र प्रदेश, भारत |
मौत |
मार्च 2, 1949 इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत | (उम्र 70)
जीवनसाथी | श्री मुत्तयला गोविंदराजुलु नायडु |
बच्चे | जयसूर्य, पद्मजा, रणधीर और लीलामणि |
सरोजिनी नायडू (१३ फरवरी १८७९ - २ मार्च १९४९) का जन्म भारत के हैदराबाद नगर में हुआ था। स्वतंत्र भारत की पहली महिला उत्तर प्रदेश राज्यपाल थी इनके पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय एक नामी विद्वान तथा माँ कवयित्री थीं और बांग्ला में लिखती थीं। बचपन से ही कुशाग्र-बुद्धि होने के कारण उन्होंने १२ वर्ष की अल्पायु में ही १२हवीं की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की और १३ वर्ष की आयु में लेडी ऑफ दी लेक नामक कविता रची। सर्जरी में क्लोरोफॉर्म की प्रभावकारिता साबित करने के लिए हैदराबाद के निज़ाम द्वारा प्रदान किए गए दान से "सरोजिनी नायडू" को इंग्लैंड भेजा गया था सरोजिनी नायडू को पहले लंदन के किंग्स कॉलेज और बाद में कैम्ब्रिज के गिरटन कॉलेज में अध्ययन करने का मौका मिला।[1]
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका
वे १८९५ में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गईं और पढ़ाई के साथ-साथ कविताएँ भी लिखती रहीं। गोल्डन थ्रैशोल्ड उनका पहला कविता संग्रह था। उनके दूसरे तथा तीसरे कविता संग्रह बर्ड ऑफ टाइम तथा ब्रोकन विंग ने उन्हें एक सुप्रसिद्ध कवयित्री बना दिया।१८९८ में सरोजिनी नायडू, डॉ॰ गोविंदराजुलू नायडू की जीवन-संगिनी बनीं। १९१४ में इंग्लैंड में वे पहली बार गाँधीजी से मिलीं और उनके विचारों से प्रभावित होकर देश के लिए समर्पित हो गयीं। एक कुशल सेनापति की भाँति उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय हर क्षेत्र (सत्याग्रह हो या संगठन की बात) में दिया। उन्होंने अनेक राष्ट्रीय आंदोलनों का नेतृत्व किया और जेल भी गयीं। संकटों से न घबराते हुए वे एक धीर वीरांगना की भाँति गाँव-गाँव घूमकर ये देश-प्रेम का अलख जगाती रहीं और देशवासियों को उनके कर्तव्य की याद दिलाती रहीं। उनके वक्तव्य जनता के हृदय को झकझोर देते थे और देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रेरित कर देते थे। वे बहुभाषाविद थी और क्षेत्रानुसार अपना भाषण अंग्रेजी, हिंदी, बंगला या गुजराती में देती थीं। लंदन की सभा में अंग्रेजी में बोलकर इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया था।[2]
अपनी लोकप्रियता और प्रतिभा के कारण १९२५ में कानपुर में हुए कांग्रेस अधिवेशन की वे अध्यक्षा बनीं और १९३२ में भारत की प्रतिनिधि बनकर दक्षिण अफ्रीका भी गईं। भारत की स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद वे उत्तरप्रदेश की पहली राज्यपाल बनीं। श्रीमती एनी बेसेन्ट की प्रिय मित्र और गाँधीजी की इस प्रिय शिष्या ने अपना सारा जीवन देश के लिए अर्पण कर दिया। २ मार्च १९४९ को उनका देहांत हुआ। १३ फरवरी १९६४ को भारत सरकार ने उनकी जयंती के अवसर पर उनके सम्मान में १५ नए पैसे का एक डाकटिकट भी जारी किया।
राज्यपाल
स्वाधीनता की प्राप्ति के बाद, देश को उस लक्ष्य तक पहुँचाने वाले नेताओं के सामने अब दूसरा ही कार्य था। आज तक उन्होंने संघर्ष किया था। किन्तु अब राष्ट्र निर्माण का उत्तरदायित्व उनके कंधों पर आ गया। कुछ नेताओं को सरकारी तंत्र और प्रशासन में नौकरी दे दी गई थी। उनमें सरोजिनी नायडू भी एक थीं। उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त कर दिया गया। वह विस्तार और जनसंख्या की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा प्रांत था। उस पद को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा, 'मैं अपने को 'क़ैद कर दिये गये जंगल के पक्षी' की तरह अनुभव कर रही हूँ।' लेकिन वह प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की इच्छा को टाल न सकीं जिनके प्रति उनके मन में गहन प्रेम व स्नेह था। इसलिए वह लखनऊ में जाकर बस गईं और वहाँ सौजन्य और गौरवपूर्ण व्यवहार के द्वारा अपने राजनीतिक कर्तव्यों को निभाया।
सन्दर्भ
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 25 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अगस्त 2018.
- ↑ "स्मरण:भारत कोकिला सरोजिनी नायडू" (एचटीएमएल). याहू जागरण. अभिगमन तिथि २८ अक्तूबर २००९.
|access-date=
में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)[मृत कड़ियाँ]
राजनीति / प्रशासन | गुजरात की मुख्यमंत्री- आनंदीबेन पटेल • राष्ट्रपति-प्रतिभा पाटिल • प्रधानमंत्री - इंदिरा गाँधी • केंद्रीय मंत्री - राजकुमारी अमृत कौर • लोकसभा अध्यक्ष - मीरा कुमार • राज्यसभा उपसभापति - नजमा हेपतुल्ला • लोकसभा प्रतिपक्ष नेता - सुषमा स्वराज • सांसद - राधाबाई सुबरायण • राज्यपाल-सरोजिनी नायडू • मुख्यमंत्री-सुचेता कृपलानी • मुस्लिम मुख्यमंत्री-सैयद अनवरा तैमूर • दलित मुख्यमंत्री- मायावती • राजदूत - विजय लक्ष्मी पण्डित • नोबल पुरस्कार सम्मानित - मदर टेरेसा • सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश - फातिमा बीबी • आई. ए . एस. अधिकारी - अन्ना राजम मल्होत्रा • आई . पी. एस . अधिकारी - किरण वेदी • विदेश सचिव - चोकिला अय्यर • संयुक्त राष्ट्र साधारण सभा की अध्यक्ष - विजय लक्ष्मी पण्डित • उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश - लीला सेठ • उच्च न्यायालय की जज - अन्ना चांडी • मुख्य सूचना आयुक्त-दीपक संधू • आई . एफ. एस . अधिकारी - बेनो जेफीन | |
---|---|---|
कला / सौंदर्य | फोटो जर्नलिस्ट - होमी व्यरावाला • सिनेमा अभिनेत्री - देविका रानी • बुकर पुरस्कार विजेता - अरुंधती राय • मिस वर्ल्ड - रीता फारिया • मिस यूनिवर्स - सुष्मिता सेन • | |
खेल / साहस | अशोक चक्र से सम्मानित कांस्टेबल- कमलेश कुमारी • अशोक चक्र से सम्मानित सिविलियन- नीरजा भनोट • अर्जुन पुरस्कार विजेता - एन. लमस्दें • एशियाई खेलो में पदक विजेता - कमल जीत संधू • ओलम्पिक खिलाड़ी - मेरी लीला रो • ओलम्पिक पदक विजेता - कर्णम मल्लेश्वरी • विश्व एथलेटिक्स में पदक विजेता - अंजू बॉबी जॉर्ज • विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में एकल पदक जीतने वाली -पी॰वी॰ सिंधू • टेस्ट क्रिकेट में दोहरा शतक -मिताली राज • अन्टार्क्टिका पर पहुचने वाली - मेहर मूसा • उत्तरी ध्रुव पर पहुचने वाली - प्रीती सेनगुप्ता • इंग्लिश चैनल पर करने वाली - आरती साहा • एवरेस्ट पर चढ़ने वाली - बछेंद्री पाल • एवरेस्ट पर दो बार चढ़ने वाली - संतोष यादव • साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता - अमृता प्रीतम • ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता - आशापूर्णा देवी • माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली पहली भारतीय विकलांग-अरूणिमा सिन्हा • भारत की पहली आदिवासी महिला एवरेस्ट पर चढ़ने वाली - विनीता सोरेन • 48 साल की उम्र में भारत की पहली महिला एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रेमलता अग्रवाल• दक्षिण ध्रुव तक स्की करने वाली पहली भारतीय महिला रीना कौशल धर्मशक्तु | |
विविध | व्यावसायिक पायलट - प्रेमा माथुर • वायु सैनिक पायलट- हरिता कौर देयोल • अन्तरिक्ष यात्री - कल्पना चावला • रेमन मेगसेसे पुरस्कार विजेता - किरण बेदी • भारतीय विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण स्नातक और फिजीशियन - कादम्बिनी गांगुली • विदेश से शिक्षा प्राप्त करने वाली चिकित्सक - आनंदीबाई जोशी • किसी विदेशी बैंक की अध्यक्ष -नैना लाल किदवई • |
Text is available under the CC BY-SA 4.0 license; additional terms may apply.
Images, videos and audio are available under their respective licenses.