For faster navigation, this Iframe is preloading the Wikiwand page for अनुसंधान.

अनुसंधान

जर्मनी का 'सोन' (Sonne) नामक अनुसन्धान-जलयान

व्यापक अर्थ में अनुसन्धान (Research) किसी भी क्षेत्र में 'ज्ञान की खोज करना' या 'विधिवत गवेषणा' करना होता है। वैज्ञानिक अनुसन्धान में वैज्ञानिक विधि का सहारा लेते हुए जिज्ञासा का समाधान करने की कोशिश की जाती है। नवीन वस्तुओं की खोज और पुरानी वस्तुओं एवं सिद्धान्तों का पुनः परीक्षण करना, जिससे कि नए तथ्य प्राप्त हो सकें, उसे शोध कहते हैं।

शोध उस प्रक्रिया अथवा कार्य का नाम है जिसमें बोधपूर्वक तथ्यों का संकलन कर व्यवस्थित व सावधानीपूर्वक सूक्ष्म बुद्धि से तथ्यों का अवलोकन कर नए तथ्यों या सिद्धांतों का उद्‌घाटन किया जाता है।

सूक्ष्मदर्शी, जो अनुसन्धान का प्रतीक बन गया है।

अध्ययन से दीक्षित होकर शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करते हुए शिक्षा में या अपने शैक्षिक विषय में कुछ जोड़ने की क्रिया अनुसन्धान कहलाती है। पी-एच.डी./ डी.फिल या डी.लिट्/डी.एस-सी. जैसी शोध उपाधियाँ इसी उपलब्धि के लिए दी जाती हैं। इनमें अध्येता से अपने शोध से ज्ञान के कुछ नए तथ्य या आयाम उद्घाटित करने की अपेक्षा की जाती है।

'शोध' अंग्रेजी शब्द 'रिसर्च' का पर्याय है किन्तु इसका अर्थ 'पुनः खोज' नहीं है अपितु 'गहन खोज' है। इसके द्वारा हम कुछ नया आविष्कृत कर उस ज्ञान परम्परा में कुछ नए अध्याय जोड़ते हैं।

परिभाषाएँ

[संपादित करें]
  • अनुसंधान (Research) को विभिन्न तरीकों से परिभाषित किया गया है। ज्ञान की किसी भी शाखा में नवीन तथ्यों की खोज के लिए सावधानीपूर्वक किए गए अन्वेषण या जांच-पड़ताल को शोध की संज्ञा दी जाती है। (एडवांस्ड लर्नर डिक्शनरी ऑफ करेंट इंग्लिश)
  • रैडमैन और मोरी ने अपनी पुस्तक “द रोमांस ऑफ रिसर्च” में शोध का अर्थ स्पष्ट करते हुए लिखा है कि नवीन ज्ञान की प्राप्ति के व्यवस्थित प्रयत्न को हम शोध कहते हैं।
  • लुण्डबर्ग ने शोध को परिभाषित करते हुए लिखा है कि अवलोकित सामग्री का संभावित वर्गीकरण, साधारणीकरण एवं सत्यापन करते हुए पर्याप्त कर्म विषयक और व्यवस्थित पद्धति है।
  • थियोडॉर्सन एवं थियोडॉर्सन (Theodorson and Theodorson, 1969) के अनुसार शोध की परिभाषा -
किसी समस्या के व्यवस्थित अध्ययन करने या किसी समस्या से सम्बन्धित ज्ञान का बढ़ाने के निष्पक्ष प्रयास को शोध कहा जा सकता है।
  • करलिंगर (Kerlinger, 1964, 2002) के अनुसार शोध की परिभाषा - के द्वारा शोध की दी गयी परिभाषा अधिक समग्र, स्पष्ट तथा संतोषजनक है। उनके अनुसार
वैज्ञानिक शोध, प्राकृतिक घटनाओं के बीच अनुमानित सम्बन्धों की खोज हेतु निर्मित परिकल्पनाओं का व्यवस्थित, नियंत्रित आनुभविक तथा आलोचनात्मक अनुसंधान है।

स्पष्ट है कि विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने शोध शब्द को विभिन्न रूपों में परिभाषित करने का प्रयास किया है। सभी परिभाषायें अपने आप में संतोषजनक तथा एक-दूसरे की पूरक हैं।

अनुसन्धान प्रक्रिया

[संपादित करें]
अनुसन्धान चक्र : वैज्ञानिक विधि के कुछ अवयव जिन्हें एक चक्र के रूप में व्यवस्थित किया गया है, जो दर्शाता है कि अनुसन्धान एक चक्रीय प्रक्रम है।

शोध की प्रक्रिया के निम्‍नलिखित चरण माने जाते हैं-

  • सामग्री संकलन व अध्‍ययन
  • साहित्‍य समीक्षा
  • समस्‍या की पहचान
  • विषय का चयन
  • शोध प्रविधि का निर्धारण
  • शोध प्रस्‍ताव बनाना
  • अध्‍यायीकरण
  • प्रबंध लेखन

शोध के अंग

[संपादित करें]
  • ज्ञान क्षेत्र की किसी समस्या को सुलझाने की प्रेरणा
  • प्रासंगिक तथ्यों का संकलन
  • विवेकपूर्ण विश्लेषण और अध्ययन
  • परिणामस्वरूप निर्णय

अनुसन्धान-प्रक्रिया के चरण

[संपादित करें]

शोध एक प्रक्रिया है जो कई चरणों से होकर गुजरती है। शोध प्रक्रिया के प्रमुख चरण ये हैं-

  • (१) अनुसन्धान समस्या का निर्माण
  • (२) समस्या से सम्बन्धित साहित्य का व्यापक सर्वेक्षण
  • (३) परिकल्पना (हाइपोथीसिस) का निर्माण
  • (४) शोध की रूपरेखा/शोध प्रारूप (रिसर्च डिज़ाइन) तैयार करना
  • (५) आँकड़ों एवं तथ्यों का संकलन
  • (६) आँकड़ो / तथ्यों का विश्‍लेषण और उनमें निहित सूचना/पैटर्न/रहस्य का उद्घाटन करना
  • (७) प्राक्कल्पना की जाँच
  • (८) सामान्यीकरण (जनरलाइजेशन) एवं व्याख्या
  • (९) शोध प्रतिवेदन (रिसर्च रिपोर्ट) तैयार करना

समस्या या प्रश्न

[संपादित करें]

शोध करने के लिए सबसे पहले किसी समस्या या प्रश्न की आवश्यकता होती है। हमारे सामने कोई समस्या या प्रश्न होता है जिसके समाधान के लिए हम शोध की दिशा में आगे बढ़ते हैं। इसके लिए शोधार्थी में जिज्ञासा की प्रवृत्ति का होना आवश्यक है। किसी विशेष ज्ञान क्षेत्र में शोध समस्या का समाधान या जिज्ञासा की पूर्ति में किया गया कार्य उस विशेष ज्ञान क्षेत्र का विस्तार करता है। इसके साथ ही शोध से नये-नये शैक्षिक अनुशासनों का उद्भव होता है जो अपने विषय क्षेत्र की विशेषज्ञता का प्रतिनिधित्व करते हैं।

अनुसन्धान के प्रकार

[संपादित करें]

शोध कार्य सम्पन्न करने हेतु विभिन्न प्रणालियों का प्रयोग किया जाता है अतः शोध के कई प्रकार होते हैं जैसे-

अन्तरानुशासनात्मक अनुसन्धान

[संपादित करें]

वैश्वीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी के विस्तार के दौर में शोध के माध्यम से प्रत्येक शैक्षिक अनुशासन परस्पर संवाद की प्रक्रिया में है। फलतः अन्तरानुशासनात्मक शोध का महत्त्व बढ़ा है। इससे विभिन्न शैक्षिक विषयों का परस्पर आदान-प्रदान संभव हुआ है।

अन्तर-अनुशासनात्मक अनुसन्धान

[संपादित करें]

अनुसंधान के अंतर्गत जब प्रत्येक विषय को एक पूर्ण इकाई के रूप में भिन्न-भिन्न न लेकर विभिन्न विषयों को एक समूह में रखा जाए, जिनका लक्ष्य एक ही हो अन्तर-अनुशासनात्मक अनुसन्धान कहलाता है। इससे विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों को अधिकतम लाभ मिलता है। यह अनुसंधान समन्वित ज्ञान के विकास में भी सहायक होता है।

भारतीय और पाश्चात्य शोध परम्परा की तुलना

[संपादित करें]

पाश्चात्य शोध परम्परा विशेषज्ञता (Specialization) आधारित है। ज्ञान मार्ग में आगे बढ़ता हुआ शोधार्थी अपने विषय क्षेत्र में विशेषज्ञता और पुनः अति विशेषज्ञता प्राप्त करता है। शोध समस्या के समाधान की दृष्टि से यह अत्यन्त उपादेय है। भारतीय ज्ञान साहित्य की अविछिन्न परंपरा के प्रमाण से हम यह कह सकते हैं कि शोध की भारतीय परंपरा, जगत के अंतिम सत्य की ओर ले जाती है। अंतिम सत्य की ओर जाते ही तथ्य गौण होने लगते हैं और निष्कर्ष प्रमुख। तथ्य उसे समकालीन से जोड़तें है और निष्कर्ष, देश काल की सीमा को तोड़ते हुए समाज के अनुभव विवेक में जुड़ते जाते हैं।

भारतीय वाङ्मय का सत्य एक ओर जहाँ विशिष्ट सत्य का प्रतिपादन करता है वहीं दूसरी ओर सामान्य सत्य को भी अभिव्यक्ति करता है। सामान्य सत्य का प्रतिपादन सर्वदा भाष्य की अपेक्षा रखता है। यही कारण है कि भारतीय वाड्मय में विवेचित अधिकांश तथ्यों की वस्तुगत सत्ता पर सदैव प्रश्नचिन्ह लगते हैं। वे अनुभव की एक थाती हैं। तथ्यों की वस्तुगत सत्ता से दूरी उसे थोड़ी रहस्यात्मक बनाती है, भ्रम की संभावना बनी रहती है। उसके निहितार्थ तक पहुँचने की लिए प्रज्ञा की आवश्यकता है। सम्पूर्णता का बोध कराने वाली यह व्यापक दृष्टि एक प्रकार की वैश्विक दृष्टि (Holistic Approach) है। मानविकी एवं समाज विज्ञान के विषयों ही नहीं अपितु समाज विज्ञान एवं प्राकृतिक विज्ञानों के अन्तरावलम्बन से वर्तमान ज्ञान तन्त्र में एक प्रकार के वैश्विक दृष्टि का प्रादुर्भाव होने लगा है, जिसकी सम्प्रति आवश्यकता प्रतीत होती रही है।

प्राचीन भारतीय साहित्य में अनुसन्धान के लिये अनेक शब्द आये हैं- अनुसन्धान, अन्वेषण, शोध, आन्विक्षिकी, गवेषणा, जिज्ञासा, मीमांसा आदि।[1]

  • शोध मानव ज्ञान को दिशा प्रदान करता है तथा ज्ञान भण्डार को विकसित एवं परिमार्जित करता है।
  • शोध जिज्ञासा मूल प्रवृत्ति (Curiosity Instinct) की संतुष्टि करता है।
  • शोध से व्यावहारिक समस्याओं का समाधान होता है।
  • शोध पूर्वाग्रहों के निदान और निवारण में सहायक है।
  • शोध अनेक नवीन कार्यविधियों व उत्पादों को विकसित करता है।
  • शोध ज्ञान के विविध पक्षों में गहनता और सूक्ष्मता लाता है।
  • शोध से व्यक्ति का बौद्धिक विकास होता है
  • अनुसन्धान हमारी आर्थिक प्रणाली में लगभग सभी सरकारी नीतियों के लिए आधार प्रदान करता है।
  • अनुसन्धान के माध्यम से हम वैकल्पिक नीतियों पर विचार और इन विकल्पों में से प्रत्येक के परिणामों की जांच कर सकते हैं।
  • अनुसन्धान, सामाजिक रिश्तों का अध्ययन करने में सामाजिक वैज्ञानिकों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है। शोध सामाजिक विकास का सहायक है।
  • यह एक तरह का औपचारिक प्रशिक्षण है।
  • अनुसन्धान नए सिद्धांत का सामान्यीकरण करने के लिए हो सकता है।
  • अनुसन्धान नई शैली और रचनात्मकता के विकास के लिए हो सकता है।

अनुसंधान में नैतिकता

[संपादित करें]

अनुसंधान ईमानदारी से की गई एक प्रक्रिया है।इसमें गहनता से अध्ययन किया जाता है और विवेक एवं समझदारी से काम लिया जाता है।चूँकि यह एक लंबी प्रक्रिया है अतः इसमें धैर्य की परम आवयश्कता होती है

हिंदी में अनुसंधान

[संपादित करें]

हिंदी अनुसंधान पर विचार कर उसका काल निर्धारण करते हुए हिन्दी के स्वीकृत शोध-प्रबंध के निवेदन में डॉ. उदयभानु सिंह लिखते हैं कि-"१९१८ से १९३१ई. तक का समय उपाधिकारक हिन्दी-अनुसन्धान का प्रस्तावना-काल है।"[2] उदयभानु सिंह के अनुसार "सन् १९३४ से १९३७ई. तक का समय हिन्दी-अनुसंधान का प्रारम्भ-काल है।"[3] "सन् १९३८ से १९५० ई. तक का समय हिन्दी-अनुसंधान का विकास-काल है।"[4] तथा "सन् १९५१ से अब तक का समय हिन्दी-अनुसंधान का विस्तार-काल है।"[5]

इन्हें भी देखें

[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. Words from Sanskrit Literature Having the Connotation of Research (SANSKRIT) (Swami Vedarthananda)
  2. डॉ. उदयभानु, सिंह (1959). हिन्दी के स्वीकृत शोध-प्रबंध (प्रथम संस्करण). दिल्ली: नेशनल पब्लिशिंग हाउस. पृ॰ 3. अभिगमन तिथि 21 अक्टूबर 2021.
  3. डॉ. उदयभानु, सिंह (1959). हिन्दी के स्वीकृत शोध-प्रबंध (प्रथम संस्करण). दिल्ली: नेशनल पब्लिशिंग हाउस. पृ॰ 4. अभिगमन तिथि 21 अक्टूबर 2021.
  4. डॉ. उदयभानु, सिंह (1959). हिन्दी के स्वीकृत शोध-प्रबंध (प्रथम संस्करण). दिल्ली: नेशनल पब्लिशिंग हाउस. पृ॰ 4. अभिगमन तिथि 21 अक्टूबर 2021.
  5. डॉ. उदयभानु, सिंह (1959). हिन्दी के स्वीकृत शोध-प्रबंध (प्रथम संस्करण). दिल्ली: नेशनल पब्लिशिंग हाउस. पृ॰ 4. अभिगमन तिथि 21 अक्टूबर 2021.
{{bottomLinkPreText}} {{bottomLinkText}}
अनुसंधान
Listen to this article

This browser is not supported by Wikiwand :(
Wikiwand requires a browser with modern capabilities in order to provide you with the best reading experience.
Please download and use one of the following browsers:

This article was just edited, click to reload
This article has been deleted on Wikipedia (Why?)

Back to homepage

Please click Add in the dialog above
Please click Allow in the top-left corner,
then click Install Now in the dialog
Please click Open in the download dialog,
then click Install
Please click the "Downloads" icon in the Safari toolbar, open the first download in the list,
then click Install
{{::$root.activation.text}}

Install Wikiwand

Install on Chrome Install on Firefox
Don't forget to rate us

Tell your friends about Wikiwand!

Gmail Facebook Twitter Link

Enjoying Wikiwand?

Tell your friends and spread the love:
Share on Gmail Share on Facebook Share on Twitter Share on Buffer

Our magic isn't perfect

You can help our automatic cover photo selection by reporting an unsuitable photo.

This photo is visually disturbing This photo is not a good choice

Thank you for helping!


Your input will affect cover photo selection, along with input from other users.

X

Get ready for Wikiwand 2.0 🎉! the new version arrives on September 1st! Don't want to wait?