यज्ञपुरुष
यज्ञ अवतार मखदेवता के रूप में भगवान विष्णु
भगवान यज्ञ विष्णु के अवतार हैं
यज्ञेश्वर मखदेवता इनका जन्म स्वायम्भूव मनु के रक्षणार्थ हुआ।
स्वायम्भुव के पुत्री आकूति और रुचि प्रजापति ने पुत्र प्राप्त किया जो मार्कण्डेय ऋषि द्वारा यज्ञ से उत्पन्नप्रकटिय हुवा भगवान यज्ञ का जन्म हुआ और इन्होंने ही स्वायम्भूूव मन्वंतर में याम नाम के देवताओं को उत्पन्न किया महाराज श्वेतकेतु की पुत्री दक्षिणा ने अपना स्वयंवर का त्याग करके श्रीमान यज्ञ भगवान से विवाह किया स्वयंभू मन्वंतर में इन्हीं भगवान के कारण तीनों लोको की रक्षा हुई इंद्र आदि देवताओं ने इन्हें स्वर्ग के सिंहासन पर बैठाया परंतु उन्होंने सिंहासन का त्याग करके भगवान विष्णु में ही ध्यान लगाकर उन्हीं में लीन हो गए यज्ञ भगवान के कारण ही यज्ञ आदि धर्म अनुष्ठान से ऋषि मुनि प्रजापति दक्ष आदि समस्त सृष्टि संतुष्ट हुई
बलिदान के भगवान यज्ञेश्वर विष्णु के अवतार यज्ञ अर्थाथ मखदेवता है यजुर्वेद में यज्ञ का विशिष्ट वर्णन है
इंद्रदेव, अग्निदेव, वरुणदेव, सूर्यदेव, चन्द्रदेव, आदि सब देवता मैं बलिदान के भगवान यज्ञेश्वर मखदेवता महत्वपूर्ण तथा श्रेष्ठ देवता है जो मार्कण्डेय ऋषि द्वारा यज्ञ से उत्पन्नप्रकटिय हुवा है प्रजापतिरुचि तथा आकूतिदेवी के संतान रूप में
भार्गव वंश मार्कण्डेय ऋषि द्वारा उत्पन्नप्रकटिय भगवान यज्ञेश्वर विष्णु के अवतार यज्ञ यज्ञेश्वर मखदेवता
भगवान ब्रह्मा के वाम तथा दक्षिण से पुरुष तथा स्त्री की मानसी सृष्टि हुई जिसमें से एक प्रथम मनु स्वायम्भूव मनु तथा शतरूपा हुईं। इनके १० पुत्र तथा आकूति, देवहूति, तथा प्रसूति नामक कन्याएँ हुईं। आकूति तथा रुचि इन दोनो का परस्पर विवाह हुआ। आकूति का विवाह रुचि नामक प्रजापति से हुआ जिनसे भगवान यज्ञपुरुष मखदेवता प्रकट हुए मार्कण्डेय ऋषि द्वारा राक्षसों से रक्षा हेतु देवताओं ऋषि मुनि आदि संतों के लिए किये जाने वाले यज्ञों एवं पूजा-अर्चनाओं द्वारा अग्निकुंड से उत्पन्न किया था।
| राजा श्वेतकेतु की पुत्री दक्षिणा से इनका विवाह हुआ इनके पुत्र याम आदि हुए स्वयंभू मन्वंतर के यह मुख्य देवता कहलाए।[1]
सन्दर्भ
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