महिलाओं का स्वास्थ्य
महिलाओं का स्वास्थ्य मानव सभ्यता और स्वास्थ्य प्रबंधन का एक अभिन्न अंग है क्योंकि महिलाएँ मानव समाज का लगभग आधा भाग हैं। कई स्वास्थ्य मामलों में महिलाएँ पुरुषों के अनुकूल मानक रखती हैं, जैसेकि स्वास्थ-बर्धक खान-पान या हानिकारक खान-पान के मानक महिलाओं और पुरुषों पर लगभग समान हैं। फिर भी प्रकृति ने जन्म से स्त्री-पुरुष के शरीर और स्वास्थ्य में कई बारीकियाँ और अंतर रखी हैं। तुलनात्मक दृष्टि से एक नवजात लड़की लड़के से अधिक अच्छा स्वास्थ्य रखती है और कम ही बीमार होती है। लड़कियाँ तेज़ी से बड़ती हैं और लड़कों की तुलना में जल्दी ही वयस्क अवस्था में पहुँचती हैं।
मासिक धर्म
[संपादित करें]युवा अवस्था में प्रवेश के साथ-साथ महिलाएँ हर महीना मासिक धर्म के चरण से गुज़रती हैं। दरअसल एक वयस्क महिला गर्भ-धारण करने के लिए प्राकृतिक रूप से तय्यार होती है। यदि उसका किसी पुरुष से संभोग होता है तो संभव है कि अंडाशय में अण्डाणु प्रसव के लिए तय्यार हो और उसी से नवजात जन्म ले। यदि प्रसव की प्रक्रिया आरंभ नहीं होती है, तो सम्भव है कि महिला मासिक धर्म से गुज़रे जिसे कुछ विशेषज्ञ गर्भाशय का विलाप करना कहते हैं। मासिक धर्म में महिलाएँ नाराज़गी-जैसे स्वभाव को प्रदर्शित करती हैं। ऐसे समय में उनके भोजन की कुछ विशेष आवश्यकताएँ हो सकती हैं। कई महिलाएँ अनियमित मासिक धर्म की भी शिकार होती हैं, जिससे उनके गर्भ धारण करने में समस्याएँ आती हैं। मासिक धर्म में जारी रक्त के कारण महिलाओं के शरीर में लोहे की कमी हो सकती है, इस कारण से उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
गर्भावस्था
[संपादित करें]गर्भावस्था में महिलाओं के खुराक और स्वास्थ्य की देख-रेख की विशेष आवश्यकता है। बच्चे के जन्म तक माँ और बच्चे का स्वास्थ्य एक दूसरे जुड़ा होता है। अत: समय-समय पर भ्रूण के विकास को जाँचा जाता है और माँ के स्वास्थ्य को भी देखा जाता है। ऐसे समय में खून की कमी, रक्त-दबाव आदि की समस्याएँ आ सकती हैं, जिन्हें देखकर इलाज किया जाता है।
स्तनपान
[संपादित करें]स्तनपान नवजात के माँ से अलग होने के बाद भी उससे अपनी भूख की पूर्ति के लिए जुड़ाव की स्थिति है। दूध पिलाने वाली महिला बच्चे के जन्म के बाद उत्पन्न होने वाली कई समस्याओं से सुरक्षित रहती है। जबकि बच्चा कई रसायन से भरे और हानिकारिक चीज़ों से बचता है। माँ का दूध मनुष्य को जीवन-भर कई बीमारियों और कमज़ोरियों से मुक्त रखता है। इसलिए स्तनपान के दौरान महिलाओं के खान-पान और आवश्यकताओं के अनुसार दवा और इलाज की आवश्यकता बनी रहती है।
अन्य महिला रोग
[संपादित करें]इसके अतिरिक्त भी महिलाएँ कई विशेष रोगों से पीड़ित हो सकती हैं। उनमें स्तन के कैंसर सहित कई स्तन रोग, माहिक धर्म के अत्यधिक या नग्नात्मक होनी की समस्या, अस्पष्ट रक्त-बहाव की समस्या, सफ़ेद-पदार्थ के बहाव की समस्या, रजोनिवृत्ति, योनि का कैंसर सहित और शारीरिक रोग शामिल हैं।
आधुनिक काल की नई समस्याँ
[संपादित करें]आधुनिक काल में गर्भनिरोधक गोलियाँ आम हो चुकी हैं। इनके लेने वाली महिलाएँ गृहिणियाँ भी होती हैं और अविवाहित महिलाएँ भी होती हैं जो अनचाहे गर्भ से बचना चाहती हैं।
गर्भनिरोधक गोलियों के अध्ययन से पता चला है कि लगातार लेने से महिलाओं के मोटापे की शिकायतें बहुत आती हैं। प्रयोगशालाओं में बने एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन से तैयार गोलियों का ये सबसे बड़ा दुष्प्रभाव है। दवा कंपनियाँ इस दुष्प्रभाव को गर्भनिरोधक के पैकेट पर भी लिखती हैं[1]। इस प्रकार कामकाजी महिलाएँ भी कई समस्याओं को झेलती हैं जिनमें मासिक धर्म के दौरान ही तनाव-जैसी स्थिति शामिल है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 11 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 अक्तूबर 2018.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]Text is available under the CC BY-SA 4.0 license; additional terms may apply.
Images, videos and audio are available under their respective licenses.