For faster navigation, this Iframe is preloading the Wikiwand page for फ़बासी.

फ़बासी

फ़बासिए कुल का एक पौधा
फ़बासिए कुल की अनेक स्पीशीज़ की जड़ों में ग्रंथिकाएँ (nodules) होती हैं (सफेद रंग) , जिनमें हवा के नाइट्रोजन का यौगिकीकरण (fixing) करनेवाले जीवाणु विद्यमान रहते हैं।

फ़बासिए (Fabaceae), लेग्युमिनोसी (Leguminosae) या पापील्योनेसी (Papilionaceae) एक महत्त्वपूर्ण पादप कुल है जिसका बहुत अधिक आर्थिक महत्त्व है। इस कुल में लगभग ४०० वंश तथा १२५० जातियाँ मिलती हैं जिनमें से भारत में करीब ९०० जातियाँ पाई जाती हैं। इसके पौधे उष्ण प्रदेशों में मिलते हैं। शीशम, काला शीशम, कसयानी, सनाई, चना, अकेरी, अगस्त, मसूर, खेसारी, मटर, उरद, मूँग, सेम, अरहर, मेथी, मूँगफली, ढाक, इण्डियन टेलीग्राफ प्लाण्ट, सोयाबीन एवं रत्ती इस कुल के प्रमुख पौधे हैं। लेग्युमिनोसी द्विबीजपत्री पौधों का विशाल कुल है, जिसके लगभग ६३० वंशों (genera) तथा १८,८६० जातियों का वर्णन मिलता है। इस कुल के पौधे प्रत्येक प्रकार की जलवायु में पाए जाते हैं, परंतु प्राय: शीतोष्ण एवं उष्ण कटिबंधों में इनका बाहुल्य है। इस कुल के अंतर्गत शाक (herbs), क्षुप (shrubs) तथा विशाल पादप आते हैं। कभी कभी इस कुल के सदस्य आरोही, जलीय (aquatic), मरुद्भिदी (xerophytic) तथा समोद्भिदी (mescphytic) होते हैं।

इस कुल के पौधों में एक मोटी जड़ होती है, जो आगे चलकर मूलिकाओं (rootlets) एवं उपमूलिकाओं में विभक्त हो जाती है। अनेक स्पीशीज़ की जड़ों में ग्रंथिकाएँ (nodules) होती हैं, जिनमें हवा के नाइट्रोजन का यौगिकीकरण (fixing) करनेवाले जीवाणु विद्यमान रहते हैं। ये जीवाणु नाइट्रोजन का स्थायीकरण कर, खेतों को उर्वर बनाने में पर्याप्त योग देते हैं। अत: ये अधिक आर्थिक महत्व के हैं। इसी वर्ग के पौधे अरहर, मटर, ऐल्फेल्फा (alfalfa) आदि हैं।

लेग्युमिनोसी कुल के पौधों के तने साधारण अथवा शाखायुक्त तथा अधिकतर सीधे, या लिपटे हुए होते है। पत्तियाँ साधारणतया अनुपर्णी (stipulate), अथवा संयुक्त (compound), होती हैं। अनुपर्णी पत्तियाँ कभी कभी पत्रमय (leafy), जैसे मटर में, अथवा शूलमय (spiny), जैसे बबूल में, होती हैं। आस्ट्रेलिया के बबूल की पत्तियाँ, जो डंठल सदृश दिखलाई पड़ती हैं, पर्णाभवृंत सदृश (phyllode-like) होती है।

पुष्पक्रम (inflorescence) कई फूलों का गुच्छा होता है। फूल या तो एकाकी (solitary) होता है या पुष्पक्रम में लगा रहता है। पुष्पक्रम असीमाक्षी (racemose) अथवा ससीमाक्षी (cymose) होता है। पुष्प प्राय: एकव्याससममित (zygomorphic), द्विलिंगी (bisexual), जायांगाधर (hypogynous), या परिजायांगी (perigynous) होते हैं। बाह्यदलपुंज (calyx) पाँच दलवाला तथा स्वतंत्र, या कभी-कभी थोड़ा जुड़ा, रहता है। पुमंग (androecium) में १० या अधिक पुंकेसर (stamens) होते हैं। जायांग (gynaeceum) एक कोशिकीय तथा असमबाहु (inequilateral) होता है। एकलभित्तीय (parietal) बीजांडासन (placenta) अभ्यक्ष (ventral) होता है, पर अपाक्षीय (dorsally) घूम जाता है। बीजांड (ovules) एक, या अनेक होते हैं। फल या फली गूदेदार तथा बीज अऐल्बूमिनी (exalbuminous) होते हैं।

वर्गीकरण

[संपादित करें]

यह कुल निम्नलिखित तीन उपकुलों में विभाजित हैं : (१) पैपिलियोनेटी (Papilionatae), (२) सेज़ैलपिनाइडी (Caesalpinioideae) तथा (३) मिमोसॉइडी (Mimosoideae)।

पैपिलियोनेटी उपकुल

[संपादित करें]

इस कुल के पौधे शाक, क्षुप, या वृक्ष होते हैं। जड़ों में ग्रंथिकाएँ होती हैं, जिनमें हवा के नाइट्रोजन का स्थायीकरण करनेवाले जीवाणु रहते हैं। तने नरम, या कठोर, सीधे या लता की भाँति होते हैं। पत्तियाँ एकांतर (alternate), साधारण, संयुक्त, या अनुपर्णी होती हैं। पुष्प पुष्पक्रम में लगते हैं और वे असीमाक्षी अथवा एकाकी, उभयलिंगी, पूर्ण, एकव्याससममित तथा परिजायांगी होते हैं। बाह्यदल में जुड़े पाँच दल होते हैं। विषम बाह्यदल बाहर की ओर रहता है। दलपुंज (corolla) में पाँच स्वतंत्र दल रहते हैं, जिसमें विषमदल सबसे बड़ा होता है, जिसे ध्वज (vexillum) कहते हैं। दो दल पार्श्व एली (alae), या पक्ष (wings) होते हैं, और दो दल नीचे जुड़े रहते हैं। ये नाव के आकार के होते हैं जिसे कूटक (Carina) कहते हैं। इसी नाव के आकार वाले कूटक में जनन अंग विद्यमान रहते हैं। पुंकेसर दस होते हैं, जिनमें नौ जुड़े रहते हैं तथा एक अलग रहता है। एककोष्ठकी (unilocular) अंडाशय में कई बीजांड रहते हैं। इसमें कीड़ों द्वारा निषेचन होता है। कीड़े चमकीले एवं रंगीन दलों की ओर आकर्षित होते हैं। इस कुल के प्रमुख पौधे हैं : मीठा मटर (sweet pea, or Lathyrus odoratus), धुँधली (Abrus precatorius) जवास, या ऐल्हेजाइ केमीलोरम (Alhagi camelorum), मूँगफली, थोड़ा, अरहर, चना, सनई, सेम, शीशम, मटर आदि।

सिसैलपिनाइडी उपकुल

[संपादित करें]

इस उपकुल के पौधे प्राय: विशाल वृक्ष होते हैं, पर कभी कभी शाक तथा क्षुप भी होते हैं। जड़ विशाल तथा मूलिकाओं एवं उपमूलिकाओं से युक्त होती है। तना सीधा, कड़ा, या आरोही होता है। पत्तियाँ संयुक्त पिच्छाकार (pinnate), या द्विपिच्छाकार, तथा कभी कभी साधारण अनुपर्णी होती हैं। अनुपर्ण सूक्ष्म होता है। पुष्पक्रम असीमाक्ष होता है। पुष्प एकव्याससममित, अनियमित, उभयलिंगी तथा परिजायांगी होता है। बाह्यदलपुंज पाँच दलों का होता है, जो कभी कभी रंगीन होते हैं। ये दल स्वतंत्र, या जुड़े हुए भी रहते हैं। दलपुंज पाँच दल का तथा रंगीन होता है। पुंकेसर दस, स्वतंत्र या जुड़े हुए तथा भिन्न भिन्न लंबाई के होते हैं। कभी कभी बंध्यपुंकेसर (staminode) होते हैं। जायांग एक अंडप का होता है। अंडाशय एककोष्ठकी तथा ऊर्ध्व अंडाशय (superior ovary) होता है। वर्तिकाग्र (stigma) साधारण तथा बीजांडन्यास (placentation) सीमांत (marginal) होता है। फल फलीदार होता है। इस उपकुल के मुख्य पौधे हैं : अमलतास (Cassisa fistula), कचनार (Bauhenia variegata), कैसिया टोरा (Cassia tora), गोल्ड मोहर (Poinciana regia), अशोक (Saraca indica), इमली (Tamarindus indicus) आदि।

मिमोसॉइडी उपकुल

[संपादित करें]

इस उपकुल के पौधे प्राय:, वृक्ष, कभी कभी लता, या बहुवर्षी (perennial) शाक होते हैं। जड़ लंबी, विस्तृत एवं उपमूलिकाओं से युक्त होती है। तना मोटा एवं कठोर होता है। पत्तियाँ एकांतर पिच्छाकार, या द्विपिच्छाकर, संयुक्त तथा अनुपर्णी होती हैं। अनुपर्ण कंटक में परिवर्तित हो जाते हैं। डंठल वृत्तफलक में परिवर्तित रहता है। पुष्पक्रम असीमाक्षी, या शूकी होती है। पुष्प नियमित, अरत: सममित, उभयलिंगी, पूर्ण तथा जायांगाधर होते है। बाह्यदल एवं अंतर्दल पाँच होते हैं। पुंकेसर ग्यारह, या दस होते हैं। इस उपकुल के प्रमुख पौधे हैं : बबूल (Acacia arabica), सिरस (Albizzia labbek), लाजवंती (Mimosa pudica), जंगल जलेबी, या पिथीकोलोबियम डल्से (Pithecolobium dulce) आदि।

आर्थिक महत्व - लेग्युमिनोसी कुल के पौधे बड़े आर्थिक महत्व के हैं। अनेक पौधों के बीच आहार में काम आते हैं, जैसे अरहर, मटर, चना, उड़द, मूँग, मसूर आदि की दालें बनती हैं। कुछ बड़े वृक्षों जैसे शीशम, बबूल, इमली आदि से इमारती लकड़ी मिलती है। मूंगफली से खाद्य तेल प्राप्त होता है। कुछ पौधों के फल और पत्तियाँ साग सब्ज़ी के रूप में प्रयुक्त होती हैं, तो कुछ पौधे चारे के काम आते हैं। कुछ पौधों, जैसे सनई, से रेशे प्राप्त होते हैं, जिनसे रस्सियाँ बनती हैं। आकेशा कैटेचू नामक वृक्ष से कत्था प्राप्त होता है। कुछ पौधे हरी खाद में काम आते हैं कुछ पौधे औषधियों के रूप में व्यवहृत होते हैं, और कुछ पौधे वायुमंडल के नाइट्रोजन का अपनी जड़ की ग्रंथिकाओं में रहनेवाले जीवाणुओं द्वारा स्थायीकरण कर खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।

चित्रावली

[संपादित करें]
{{bottomLinkPreText}} {{bottomLinkText}}
फ़बासी
Listen to this article

This browser is not supported by Wikiwand :(
Wikiwand requires a browser with modern capabilities in order to provide you with the best reading experience.
Please download and use one of the following browsers:

This article was just edited, click to reload
This article has been deleted on Wikipedia (Why?)

Back to homepage

Please click Add in the dialog above
Please click Allow in the top-left corner,
then click Install Now in the dialog
Please click Open in the download dialog,
then click Install
Please click the "Downloads" icon in the Safari toolbar, open the first download in the list,
then click Install
{{::$root.activation.text}}

Install Wikiwand

Install on Chrome Install on Firefox
Don't forget to rate us

Tell your friends about Wikiwand!

Gmail Facebook Twitter Link

Enjoying Wikiwand?

Tell your friends and spread the love:
Share on Gmail Share on Facebook Share on Twitter Share on Buffer

Our magic isn't perfect

You can help our automatic cover photo selection by reporting an unsuitable photo.

This photo is visually disturbing This photo is not a good choice

Thank you for helping!


Your input will affect cover photo selection, along with input from other users.

X

Get ready for Wikiwand 2.0 🎉! the new version arrives on September 1st! Don't want to wait?