निस्यन्दन
निस्यन्दन एक पृथक्करण प्रक्रिया है जो एक निस्यन्दक माध्यम का प्रयोग करके ठोस पदार्थ और तरल पदार्थ को मिश्रण से अलग करती है जिसमें एक जटिल संरचना होती है जिसके माध्यम से केवल तरल पदार्थ गुजर सकता है। ठोस कण जो निस्यन्दक माध्यम से नहीं गुजर सकते, उन्हें बृहदाकार के रूप में वर्णित किया जाता है और जो तरल पदार्थ गुजरता है उसे निस्यन्द कहा जाता है। [1] बृहदाकारीय कण निस्यन्दक के शीर्ष पर एक निस्यन्दक पिष्टक बना सकते हैं और निस्यन्दक जाली को भी अवरुद्ध कर सकते हैं, जिससे द्रव चरण को निस्यन्दक को पार करने से रोका जा सकता है। सबसे बहत्कणाकार जो किसी निस्यन्दक से साफल्यपूर्वक गुजर सकता है, उस निस्यन्दक का प्रभावी छिद्राकार कहलाता है। ठोस और तरल पदार्थ का पृथक्करण अपूर्ण है; ठोस पदार्थ कुछ तरल पदार्थ से दूषित होंगे और निस्यन्द में महीन कण होंगे (छिद्राकार, निस्यन्दक की मोटाई और जैविक गतिविधि के आधार पर)। निस्यन्दन प्रकृति और आभियान्त्रिक तन्त्रों दोनों में होता है; जैविक, भूवैज्ञानिक और औद्योगिक रूप हैं। [2]
निस्यन्दन का उपयोग जैविक और भौतिक प्रणालियों के वर्णन हेतु भी किया जाता है जो न केवल तरल पदार्थ की धारा से ठोस पदार्थों को अलग करते हैं, बल्कि रासायनिक जातियों और जैविक जीवों को प्रवेश, कोशिका भक्षण, अधिशोषण और अवशोषण द्वारा भी हटाते हैं।
गुरुत्वाकर्षक निस्यन्दन
[संपादित करें]आवश्यक सामग्री
[संपादित करें]- कीप
- २ बीकर
- कीप धानी
- काच की छड़
- निस्यन्दक पत्र
प्रक्रिया
[संपादित करें]- निस्यन्दक पत्र को मोड़कर कीप में ठीक से बैठा दें। ऐसा करने हेतु गोल निस्यन्दक पत्र को ठीक बीच से मोड़ लें। एक कोण से क्षुद्रांश फाड़ने के बाद एक बार फिर मोड़ लें।
- अब मोड़े गए निस्यन्दक पत्र के तीन भाग एक और एक भाग दूसरी ओर रख कर इसे खोल कर इस प्रकार से शंकु बना लें कि फाड़ा गया भाग बाहर की ओर रहे। कोन को कीप में ठीक से बैठा दें। ध्यान रखें कि कीप के किनारे से एक सेन्टीमीटर नीचे फिट आए।
- निस्यन्दक पत्र को विलायक से भिजाएँ, और इसे इस तरह समायोजित करें कि पूर्ण कीप की भीतरी सतह पर अच्छी तरह चिपक जाए और कागज के शंकु तथा कीप की सतह के बीच वायु अन्तराल न रह जाए।
- अब कीप में अल्पाधिक विलायक डालें। जिससे इसकी नली विलायक से भर जाए। ठीक से फिट किया गया निस्यन्दक पत्र कीप की नली में विलायक स्तम्भ बनने में सहायक होता है। इस विलायक स्तम्भ का भार हल्का सा निर्वात उत्पन्न करता है जिससे निस्यन्दन शीघ्र होता है।
सावधानी
[संपादित करें]- कीप की नली को उस बीकर की दीवार को छूना चाहिए जिसमें निस्यन्द एकत्रित होता है जिससे गिरती हुई विद्वें बिखरे नहीं।
- निस्यन्दक शंकु को द्वितृतीयाधिक नहीं भरना चाहिए। यदि निस्यन्दित द्रव का स्तर से उच्च हो जाए, तो कुछ विलयन निस्यन्दन के बिना ही कीप के नीचे निस्यन्द एकत्रण हेतु रखे बीकर में जा सकता है।
टिप्पणी
[संपादित करें]- शीघ्र निस्यन्दन हेतु झिरीदार निस्यन्दक पत्र सुविधापूर्वक प्रयोग में लाया जा सकता है। सामान्य निस्यंदक- पत्र में 4 की बजाए 6 या 16 मोड़ बनाए जाते हैं और एन्कातर में भीतर और बाहर मोड़े जाते हैं। पेपर को खोलने पर हमें एक झिरीदार निस्यन्दक पत्र का शंकु प्राप्त हो जाता है जिसके मोड़ एक शीर्ष पर मिलते हैं। निस्यन्दन हेतु अधिक सतह उपलब्ध होने के कारण निस्यन्दन शीघ्र होता है।
- ठोस के द्रव से पृथक्करण हेतु, निस्यन्दन को दो चरणों में करना चाहिए। पहले अधिकतर द्रव, कांच की छड़ के सहारे सावधानीपूर्वक ढालना चाहिए। जब बीकर में कुछ ही मिलीलीटर मिश्रण रह जाए तो बीकर को हल्के से हिलाकर द्रव कीप में ढालना चाहिए। इसके बाद बीकर की दीवार को विलायक की धार से क्षालन कर सामग्री को एक बार फिर कीप में ढालना चाहिए। क्षालन प्रक्रिया को तब तक दोहराना चाहिए जब तक बीकर और कांच की छड़ साफ़ न हो जाए। अच्छा होगा कि ठोस विलायक मिश्रण को काच की छड़ के सहारे ढाला जाए। तथापि सावधानी रखनी चाहिए कि निस्यन्द पत्र काच की छड़ से फटे नहीं।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Article on "Water treatment solution: Filtration", retrieved on 15 October 2013 from http://www.lenntech.com/chemistry/filtration.htm
- ↑ Sparks, Trevor; Chase, George (2015). Filters and Filtration Handbook (6th संस्करण). Butterworth-Heinemann. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780080993966.
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